Friday, February 27, 2009

पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा

पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा
अपना ही दिल जला देखा
अभी सुबह नही हुई थी लेकिन
लाशों का काफिला देखा
मिटने हो उनके नाम पर
शहीदों का होंसला देखा
हमने डूब के इश्क के दरिया मैं
अपना रोम-रोम जला देखा

शाम होते ही

शाम होते ही उनके रुख से पर्दा गिर जाएगा

अंधेरे मैं फिर कौन राह दिख लायेगा

गर्म मौसम मैं वो साथ तो देदेगा लेकिन

खिज़ा मैं हर अपना उससे दूर हो जाएगा

दर्द बढेगा तो कम भी होगा कभी

ये बात अलग है की मंज़र बदल जाएगा

''सैफ'' से सुन कर ये बेतुकिं बातें

ये बन्दा भी अपने घर निकल जाएगा

तुम असमंजस मैं हो

तुम असमंजस मैं हो

अभी जाँच लो परख लो मुझे

जिस दिन

शंकाएँ दूर हो जायेगी तुम्हारी

उस दिन

तुम मेरी

सिर्फ़ मेरी हो जाओगी

तुम असमंजस मैं हो

करता हूँ जिसकी बंदगी
क्या दूँ उसे ऐ जिंदगी
जिसको पा के आंखे नम रहें उसकी
कब से तलाश रहा हूँ वो खुशी
उशी अदाओं को एजाज है
हरेक शख्स चाहे है खुदकुशी
उसकी इनयात-ऐ- नज़रों की
गुलाम है सैफ जिंदगी आपकी

...........तमन्ना.........

कौन चाहता हैं हारें वो

चाँद से हैं प्यारे वो

चांदनी जले देख जिसे

चमकते हुए तारे वो

कौन सरहद पर जीये

जिन्दा हो तो मारे वो

साँस रुके रुक जाए

एक दफा पुकारें वो

''सैफ'' तुम लाचार हो और

इश्क मैं बेचारे वो

Wednesday, February 25, 2009

मैं समय हूँ

विचार नीति संस्कृति
या प्रकिती की कोई कृति
मैं सब का संचालक हूँ
मैं समय हूँ
ज्ञान विज्ञानं ओध्योगिकी
सागर आकाश और जीवन की
रचना का मैं करक हूँ
मैं समय हूँ
मृत्यु काल अंत
और ब्रहमांड में फेले अंधकार का
मैं विनाशक हूँ
मैं समय हूँ
कल्पना कार्य आविष्कार
दीपक की ज्योति से ज्यादा प्रकाशवान
मोक्ष दिलाने मैं साधक हूँ
मैं समय हूँ
मैं इश्वर हूँ
14 जुलाई 2004

मैं तेरा दीवाना हो गया

मुझे मान दे
सम्मान दे
मुझे एक नई पहचान दे
मुझे दे परतिष्ठा अपमान दे
मैं तेरा दीवाना हो गया
मुझे प्यार दे या मार दे
मेरे साईं तू वरदान दे
मुझे ज्ञान का तू दान दे
रहूँ दास तेरा उम्रभर
तू ऐसी मुझको शान दे
तू बुला के अपनी शरण मैं
मुझ अज्ञानी को तू ज्ञान दे
मैं तेरा दीवाना हो गया
मुझे प्यार दे या मार दे
मुझे दर्द सब का चहिये
मुझे इतना तू इनाम दे
सुनूँ सब की मैं इत्मिनान से
मेरी सब्र मैं इतनी जान दे
मैं तेरा दीवाना हो गया
मुझे प्यार दे या मार दे

ये शायद कल की बात लगती है दिनांक २६/०६/2005

Friday, February 20, 2009

...........गीत.............

एक गीत जो कभी गाया नहीं गया

एक तो इश्क-ऐ-तपिश ऐसी बड़ती रही
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही
साथ हम तुम चले फिर वो क्यूँ रुक गये
और वो ऐसे रुके की चले ही नहीं
मुझे तो कहा हम मिलेंगे वहीँ
वो आए नहीं रात बढती रही .
एक तो इश्क-ऐ-तपिश ऐसी बड़ती रही
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही
मेरे अन्दर उन्हीं बेरुखी सी पली
बात ऐसी बढ़ी की वो रुक न सकी
मैंने सोचा की हमदम मेरे साथ है
हाँ मैं रुक सा गया और वो चलती रही
एक तो इश्क-ऐ-तपिश ऐसी बड़ती रही
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही
ऐ खुदा "सैफ" से हो गयी क्या खता
उसको मालूम नहीं है उसे तू बता
साथ उसके नही कोई आशना
जान जो थी बची वो निकलती रही
एक तो इश्क-ऐ-तपिश ऐसी बड़ती रही
मैं तड़पता रहा तू पिघलती रही

Wednesday, February 4, 2009

.........प्राथना...........

साज़ है आवाज़ है तू
तू अँधेरा तू किरण
तू prbhat की वो दिशा है
जिस पे चलता है गगन
सअब का तू है सब है तेरे
सब से achcha तेरा चलन
न ही बनता न बिगड़ता
सब की धुन मैं तू मगन
सुबह सवेरे सबसे पहले
करता "सैफ़" तुझे नमन

...........ख्याल.............

तेरा ख्याल
वाह कमाल
सिमटे निगाह
महकता जमाल
याद दिलाता
तेरा रुमाल
बदला जो ''सैफ''
खुदा सम्हाल

..........सपना............

कुछ हादसे बंद हैं हांथों की लकीरों मैं
पर यकीन करो खुश रहोगी तुम
न फूलों की सेज दूंगा न काँटों का रास्ता
साथ तो चलो खुश रहो गी तुम
एसा क्यों कहूँ जो कहोगी करूँगा मैं
हैं ये बात जान लो खुश रहोगी तुम
''सैफ'' कहता है दुआ करो अल्लाह से
वो खुश रहेगा तो खुश रहोगी तुम