Tuesday, March 31, 2009

साधारण

नित नये समय में, कुछ ऐसा हो जाता है

पंछी उड़ते रहते हैं, घर उनका खो जाता है
इक पल को तैयार हूँ, इस सादे हाला में

मोती जैसा बिखरा था, एक साधारण माला में
मुझको आपना कहने वाले, कुछ धोखा तो खायेंगे

जब वो मुझ को खोजेंगे, तब हम खो जायेंगे
जाने क्यूँ करता है , "सैफ़" वफ़ा की बातें

तोडी हैं क़समें उसने, झूठी हैं उसकी बातें

Saturday, March 28, 2009

ऐसे सिलसिले

मुहब्बत भरे प्यार के सिलसिले

खुशियाँ बांटो दिल मिले न मिले

तन्हां है वो जो खुद को तन्हां कहे

हम तो पत्थरों के भी मिले हैं गले

रोते बिलखते बच्चों की सोचो

दो पैसे पर उनके दिल हैं खिले

नफरतें बाँट लो सब को लगा के गले

ऐ "सैफ़" ऐसा मौका मिले न मिले

Friday, March 20, 2009

प्रभु


मेरा न कुछ सब कुछ है तेरा

तेरे होवत होत सवेरा

मैं अग्ज्ञानी मांगूँ ज्ञान

प्रभु कहाँ है तेरा बसेरा

कस्तूरी मन डोलत है

काहे भगवन होत मेरा

"सैफ़" कहित सुनो सब भाई

प्रभु में मेरा है न तेरा

Monday, March 16, 2009

प्रार्थना

वो जो सर्वाधिक पास है मेरे
हे मेरे भगवान वो तू है
तू ही तो है वो
मैं जब भी किसी से नाराज़ हुआ
या मेरा मन उदास हुआ
नाम तेरा लेकर मैं
कर लेता हूँ अपने मन को शांत
हर बार दी शक्ति मुझे तुने
धन नही न सही पर
ज्ञान दिया मुझे तुने
माँ- बाप सी छत दी तुने
भाई बहनों से बाजू
गुरु सा दीपक दिया तुने
मित्र से मित्रता निभाने की शक्ति दी
ये तेरा उपकार है
हे ! मेरे परमपिता परमात्मा
तुम को मेरा प्रणाम है ।

Monday, March 9, 2009

एक दिन


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एक दिन
ऐसा हो जाएगा
मैं घर से निकलूंगा
रास्ता खो जाएगा
एक दिन
वो मुझे फ़िर मिल जायेंगे
उम्रभर की क़समें फ़िर खायेंगे
और वो मुझे फ़िर तन्हां छोड़ जायेंगे
एक दिन
पुरे होंगे हर सपने
बन जायेंगे गैर भी अपने
और अपनों का दामन छुटेगा
अपना दिल फ़िर टूटेगा
एक दिन

Thursday, March 5, 2009

खुबसूरत हकीकत


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क्या करूँ ?
तेरी खूबसूरती पर
कोई शेर बनता नही
इस जेहन में
पनपता तो है कुछ
मगर वो किसी हर्फ़ में
नही उतरता
टटोलता हूँ
इस ज़हन को अपने
और सोचता हूँ
मैं
ऐ खुदा !
अगर ये खूबसूरती सच है
तो, तू भी सच है
तू भी हकीकत है

इश्क


इश्क जब हुस्न पर आता है
तो अरमान मचल जाते हैं
वो कुछ कहते हो हैं हम से
हम समझ नही पाते है
तेरे हुस्न ही क्या तारीफ करूँ
मुझे कुछ कहना न गवारा होगा
काफिर तो बना दिया तुम ने मुझे
अब अपना बनाना होगा
अगर इस जहाँ में तुम न मिले
तो मुझे मौत को गले लगाना होगा
बात जो होती थी आंखों से
अब इस को बढ़ाना होगा
अब कंचन तुम्हे, अब कंचन तुम्हे
होटों से कुछ बताना होगा
इस बात से नाराज़ न होना
क्योकि ..........
इश्क जब हुस्न पर आता है
तो अरमान मचल जाते हैं

तू

आ तू मेरे पास,

लौट के जाने के लिए आ !

आ मुझे तू आज भी ,

आजमाने के लिए आ !

फांसला उम्र न काटने पाए,

आ मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !

देख न खुश्क आँखे मेरी,

आ मुझे तू रुलाने के लिए आ !

मेरा नाम ले

न सोच कभी
मेरा नाम ले
न देख मुझे
पहचान ले
बस ऐसे है मुझे
तू जान ले
तेरा मैं
मुझे तू
अपना मान ले
रिश्ते मैं अपने
मुझे बाँध ले
मेरे मरने से पहले
मेरा नाम ले
एक रिश्ता बनाले
चल ...........
मेरा नाम ले ।

Wednesday, March 4, 2009

में तुम्हारी प्रतीक्षा मैं हूँ

मैं ,
क्षण भर को जीवित हूँ
इस प्रकृति की सृष्टि मैं
और अपनी ही दृष्टि मैं
क्षण भर को उत्साह मैं आता हूँ
फ़िर निराशा मैं खो जाता हूँ
किसी आहट के स्पर्श से
वापस खिल जाता हूँ
तुम्हे हो न हो मेरा इंतजार
पर मैं
तुम्हारी प्रतीक्षा मैं हूँ ।

"मयखाने"

जाहिद ! मैं क्यूँ न जाऊँ मयखाने
शायद इसी बहने हम खुदा को पहचाने
जहाँ लड़ता नही मजहब के लिए
छलकते हैं यहाँ सब के प्यमाने
हां यहीं तो मस्जिद है , यहीं है बुतखाना
यहीं पर मिलतें हां सब आशिक बेगाने
यहाँ पर साकी से बना अजब सा रिश्ता
बहुत दूर से वो अपनी आहात को जाने
भूख की चिंता नही दुःख को पहचाने
ऐ "सैफ" ऐसी जगह है मयखाने



"ज़िक्र-ऐ-जुस्तुजू"

जहाँ तक मन के आकाश पर छाने की बात है
सेहरा मैं जल बरसाने की बात है
सागर की प्यास बुझाने की बात है
रातों की बैचेनी बढ़ने की बात है
और बैचेनी मैं मुस्कुराने की बात है
आँखों की नींद उड़ने की बात है
दिल की धरकन बढ़ने की बात है
कोशिशों को कामयाबी बनने की बात है
वो तुम्हारा ही ज़िक्र है तुम्हारी ही बात है

ताज़ा समाचार

कुछ दिन में ये समाचार भी आ जाएगा
मेरा दोस्त था जो कभी वो मुझको ही खा जाएगा
उससे हसरत थी मुझे कभी भाई सी
लोटते वक़्त वो मेरा कफ़न भी जला जाएगा
मेरा हिस्सा था कभी जो इस दुनिया में
वो अपनी आंधी मैं सबको बहा जाएगा
अब न पहुचेगी पुरवाई दिल की उस तक
पुरी दुनिया मैं वो आग लगा जाएगा
कितने धोखे खाए हैं मेरे दिल ने उससे
''सैफ'' उसको भी सबक आज दिया जाएगा
आज कल के ताज़ा हालत पर

Tuesday, March 3, 2009

आशना

वो अलग है
उसकी मिसाल क्या
एक शब्द में कहदुं उसे खुदा
तो माफ़ करना मालिक
नहीं वो तुझ से जुदा
ये मैंने जनता हूँ तू मुझ से पूछ
मैं हर्फ़ हूँ तो वो है ज़बां
कुछ तो बात है जो मेरा है
वो अब तक आशना

Monday, March 2, 2009

ख्वाब

ऐ खुदा ऐसा हो मेरा मकान
जो हो मेरे माँ - बाप की शान
मेरे दिल अज़ीज़ भाइयों की जा
और वहां हो तुम्हारा अलग मुकाम
ये खुदा ऐसा हो मेरे मकान
बजे मन्दिर में घंटियाँ
सबके कानों तक पहुचे अजान
में कहूँ अल्लाहु , तुम्हारे ॐ में छुपे भगवान
एक ही घर में दिखलादें हम
नवरात्रे और रमजान
ऐ खुदा ऐसा हो मेरा मकान

खामोश परिवर्तन

पल मैं समय बदला
ज्ञान अज्ञान और विज्ञान बदला
विचारों की गंगा
आदर भी अभिमान मैं बदला
जो मेरे था मेरे ही रहा लेकिन
जिस पर हक था वो भगवान भी बदला
पहले कल्पना मैं खामोश रहा मैं
फ़िर तुम ने मेरी तान को बदला
आज तो तन्हाई से भी तनहा अकेला मैं
तुमने मेरा सम्मान भी बदला

''लम्स''

उसका कुछ कतरा और तेरे होंठों का लम्स
जब मुझे रह रह कर याद आता है
जिस तरह फूलों को छुआ हो मेरे होंठो ने
एक तीखी सी लहर मेरे जेहन में
गूंजती है रह रह के पल दो पल में
क्या हुआ मुझे जो कदम लड़खडाने लगे
जबान चुप मगर होंठ बडबडाने लगे
अब सोचता हूँ घर जाऊँ केसे
आंखों के उठते धुँए को छुपाऊं केसे
अब मेरे होंठों की रंगत बदने लगी
वो जो लग के मेरे लब से जेहन मैं चढ़ने लगी
मैं चाहकर भी उसे हटा न सका
और वो मुझ मैं समाती गयी समाती गयी

सोच

मैं जानता था
ये एक दिन होने वाला है
तो इसमे ये हेरत केसी
तुम्हे आना था मेरे करीब तुम आ गयी
तो अब तुममे ये गेरत केसी
तुम तो कहती थी
हम न बदलेंगे कभी
फ़िर तुम ने बदली फितरत केसी

मुझे पता है

मुझे पता है
मुझसे सब छुट जायेंगे
सारे बंधन टूट जायेंगे
ये दर्पण चट्केगा नही
पर टुकड़े !
दूर तलक , बिखर जायेंगे
मुझे पता है ।

कोई मेरे ही नही

कोई मेरा ही नही
राह तो हैं बहुत
मंजिलें हैं कई
कोई मेरा ही नही
रात सा दिन है ढला
थोडी बैचेनी बढा
आँख फ़िर सोई नही
कोई मेरा ही नहीं
फ़िर काफिला सा मिला
आशना सा नहीं
हम सफर थे कई
कोई मेरा ही नहीं