झूठ है सब तेरा ख्याल नहीं
पास है तू कोई मलाल नही
तू मेरे लहू में है अक्सर
केह दे तू रंग इसका लाल नहीं
इतना निखरा है जिंदगी ऐ तू
जितना मुझ पर कभी जमाल नहीं
कल रात रुबरु था छत पर
कैसे कहदुं वो हिलाल नहीं
दिल में तुम समाए हो ऐसे
"सैफ़" पर अब कोई सवाल नहीं
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