Friday, January 23, 2009

...............नज़्म....................

आप की दोस्ती दोस्तों
है मेरी ज़िन्दगी दोस्तों
जिनको दुनिया ने आंसू दिए
उनको बांटों खुशी दोस्तों
तुम गले से लगाओ उन्हें
जो करे दुश्मनी दोस्तों
एक अबला को बनके अज़ल
खा गयी मुफलिसी दोस्तों
खिदमते मादरे हिंद से
किसलिए बेरुखी दोस्तों
हैं यकीं कुछ करेगी असर
"सैफ" की शायरी दोस्तों
उस्ताद श्री वीरेंदर कुमार "कंवर" जी के आशीर्वाद से

.............मेरा देश और मैं.............

जो दिल से दिल को जोड़े, वो प्यारा है दोस्तों
हर हल मैं ये मुल्क, हमारा है दोस्तों
हिंदू हों या के सिख हों, मुस्लिम हो या सलीबी
ये मुल्क सब की, आँख का तारा है दोस्तों
उठने न देंगे आंख बुरी जानिबे वतन
ये देश हमें जान से प्यारा है दोस्तों
हम केसे उन्हें भूलें लहू दे के जिन्होंने
इस मुल्क की अजमत को संवारा है दोस्तों
हम को कसम है अपने शहीदों के खून की
हर ज़रा ज़रा इस का हमारा है दोस्तों
वो हम को फकीरों से मिली सब्र की तालीम
थोड़े मैं बहुत अपना गुज़ारा है दोस्तों
उस्ताद श्री वीरेंदर कुमार "कंवर" जी के आशीर्वाद से

Thursday, January 22, 2009

...............नज़्म................

रौशनी मैं ढालो, राह मिल जायेगी

तिरगी बाँट लो, राह मिल जायेगी

मंजिलों तक कहीं, रुक के लेना न दम

बस चलो बस चलो, राह मिल जायेगी

ग़रजो तन्हां चले, तो भटकने का डर

काफिलों से मिलो, राह मिल जायेगी

गुल तो महदूद होते हैं शाखों तलक

खुशबुओं मैं ढालो, राह मिल जायेगी

किस लिए हैं भला इतनी बेताबियाँ

सब्र से काम लो, राह मिल जायेगी

उस्ताद श्री वीरेंदर ''कवंर'' जी के आशीर्वाद से

..........क्यूँ हुए बरबाद..................

बराबाद हो गये हैं , तेरी चाहत मैं जाने जाना
जाने क्या लिखा है , किस्मत मैं जाने जाना
तुम्ही ही हो मेरी दुनिया का अनमोल खजाना
मेरी दुनिया से कभी तुम कभी दूर न हो जाना
कहता है दिल ये मेरा तुम पास हो यहीं पर
एसी नज़र नहीं की देखूं तेरा ठिकाना
बरबादहो गये हैं , तेरी चाहत मैं जाने जाना
जाने क्या लिखा है , किस्मत मैं जाने जाना
एक लम्स चाहिए इस पल मैं जाने जाना
जो कर दे मुझे फिर से दीवाना
ये आरजू है दिल की दूर फिर न जाना
लिख दिया ''सैफ'' ने फिर वही फसाना
बरबादहो गये हैं , तेरी चाहत मैं जाने जाना
जाने क्या लिखा है , किस्मत मैं जाने जाना

Wednesday, January 21, 2009

जब भी तनहा हुआ करो, दिल की धड़कन सुना करो

मेरा जीवन तुम से है, दूर न मुझसे हुआ करो

दुश्मने जां है खामोशी, कहते सुनते रहा करो

कल की saari चिंताएँ, ज़हनो- दिल से जुदा करो

खो जाने का खतरा है, साथ हमेशा रहा करो

ऐ भी क्या वादा वादा, कोई तो वादा वफ़ा करो

अपने संग संग अपनों की , खैर ख़बर भी रखा करो

सैफ जो दिल को तडपादे, वो बातें मत किया करो

उस्ताद :- श्री वीरेंदर कुमार 'कवंर' जी की कृपा से

Monday, January 19, 2009

.........मंथन.........

बहुत दिनों तक सोचा मैंने
अपनी अभिलाषाओं को अपने ही अन्दर
भूखे जानवर सा नोचा मैंने
न जाने क्यों थक गया था मैं
इस जीवन की कशमकश से
निराशा सी हो गयी थी मुझे अपने अंतर्मन से
बहक गया था मैं जिंदगी के सफर से
आज लोटना चाहता हूँ
वापस उस मंजिल की तरफ़
जिसके रास्ते मैं आग का दरिया है
अकेले ही चलना चाहता हूँ
अपने अग्निपथ पर
कर लूँगा पार एक दिन
हर आग के दरिया को
अपने लोटे आत्मबल से

Saturday, January 17, 2009

ख्वाब

मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
शान्ति के लिए ही सही
म्यान में सोई हुई तलवार बनना चाहता हूँ
तेरे आँखों से निकलते आंसुओं की धार बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
तेरे मन में उमड्ते प्यार की पतवार बनना चाहता हूँ
तेरे अधरों से निकलती आह पर
मुस्कान बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
ब्रह्मा की रची इस सिरिष्टि में
शेष पर बेठे हरी का अवतार बनना चाहता हूँ
राधा के लिए कृष्ण का प्यार बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ
मैं सही मायने में एक इन्सान बनना चाहता हूँ

Friday, January 16, 2009

इश्क

ये उन दिनों की बात है जब मैंने सोचना शुरु किया था
दिनांक १९ नवम्बर १९९९
महफिल तमाम घूमें हम
आशिकों की तरह बदनाम न थे,
तुमने हम से दिल जो लगाया
बदनामी का किस्सा आबाद हो गया,
हर शहर मैं हो गयी पहचान मेरी
पहचान छुपाना भी दुश्वार हो गया,
मोहब्बत थी तुम्हारी या नशा था
मैं हर तरफ़ से लाचार हो गया,
सोया करते थे हम भी कभी
अब नींद को भी हमारी इश्क-के -बुखार हो गया,
खेल क्या खेला नज़रों से तुमने
मैं तुम्हारे रकीबों का शिकार हो गया ,
नाम मेरा न था दीवानों मैं
आज दीवानों मैं, मैं भी शुमार हो गया,
सरफ़राज़ से ''सैफ'' हो गया देखो
जब से तुम्हारा दीदार हो गया

Monday, January 5, 2009

मुलाकात

कल रात ख्वाब में

मिल गये वो इस हलात में ,

हो गये वो दिल के मेहमा बस

एक रात में

जो भी थी दिल की आरजू

बस पुरी हुई ख्वाब में

ये तमन्ना रही दिल की दिल में

की मुलाकात होती महफिल में

अरमा दबे हैं इस दिल में

के तुम मिलो हकीकत में

काश तुम इस दिल के मेहमा होते

मेरे घर मैं तुम मेरे संग रहते

मगर क्या जाने उसके दिल मैं है

मिलना नही तुम से महफिल में है

चलो इस बहने

ख्वाब में ही तुम से मुलाकात करलें

और कुछ बात करलें !

Friday, January 2, 2009

मुझे एक सेहर की तलाश है


कहाँ है तू ,
तेरी दिशा मैं तुझे दिन - रात
देखता हूँ मैं ,
मुझे एक सेहर की तलाश है,
सर्दिओं की धुंध मैं ,
मुझे एक लहर की तलाश है
मैं अकेला कभी रहा नही
मुझे हमसफ़र की तलाश है
कभी रात दिल मैं utar gyee
कभी दिन मुझको nigal gyaa
मैं भटक रहा हूँ यूँ किस trha
मुझे किस सफर ही तलाश है
क्यों 'सैफ' बदनाम हो गये
तुम gliyon मैं खो गये
कभी to तुमपे padegi wo
tumhe jis नज़र की तलाश है