ek sehar ki talash hai
Friday, February 27, 2009
करता हूँ जिसकी बंदगी
क्या दूँ उसे ऐ जिंदगी
जिसको पा के आंखे नम रहें उसकी
कब से तलाश रहा हूँ वो खुशी
उशी अदाओं को एजाज है
हरेक शख्स चाहे है खुदकुशी
उसकी इनयात-ऐ- नज़रों की
गुलाम है सैफ जिंदगी आपकी
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Mohd. Sarfaraz
लेखन उत्तम धन कर दे मन को प्रसन्न. आपके विचारों को कोई पढता है तो वो आगे के लिए आप का मार्ग प्रदर्शक बनता था , अपने विचारों को रखने का ब्लॉग से अच्छा कोई साधन नहीं है . धन्यवाद मित्र मनु और blogspot जिसने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया .
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पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा
शाम होते ही
तुम असमंजस मैं हो
करता हूँ जिसकी बंदगी क्या दूँ उसे ऐ जिंदगी जिसको ...
...........तमन्ना.........
मैं समय हूँ
मैं तेरा दीवाना हो गया
...........गीत.............
.........प्राथना...........
...........ख्याल.............
..........सपना............
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