ek sehar ki talash hai
Wednesday, February 4, 2009
.........प्राथना...........
साज़ है आवाज़ है तू
तू अँधेरा तू किरण
तू prbhat की वो दिशा है
जिस पे चलता है गगन
सअब का तू है सब है तेरे
सब से achcha तेरा चलन
न ही बनता न बिगड़ता
सब की धुन मैं तू मगन
सुबह सवेरे सबसे पहले
करता "सैफ़" तुझे नमन
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Mohd. Sarfaraz
लेखन उत्तम धन कर दे मन को प्रसन्न. आपके विचारों को कोई पढता है तो वो आगे के लिए आप का मार्ग प्रदर्शक बनता था , अपने विचारों को रखने का ब्लॉग से अच्छा कोई साधन नहीं है . धन्यवाद मित्र मनु और blogspot जिसने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया .
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पीछे मुडकर देखा तो क्या देखा
शाम होते ही
तुम असमंजस मैं हो
करता हूँ जिसकी बंदगी क्या दूँ उसे ऐ जिंदगी जिसको ...
...........तमन्ना.........
मैं समय हूँ
मैं तेरा दीवाना हो गया
...........गीत.............
.........प्राथना...........
...........ख्याल.............
..........सपना............
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