नित नये समय में, कुछ ऐसा हो जाता है
पंछी उड़ते रहते हैं, घर उनका खो जाता है
इक पल को तैयार हूँ, इस सादे हाला में
मोती जैसा बिखरा था, एक साधारण माला में
मुझको आपना कहने वाले, कुछ धोखा तो खायेंगे
जब वो मुझ को खोजेंगे, तब हम खो जायेंगे
जाने क्यूँ करता है , "सैफ़" वफ़ा की बातें
तोडी हैं क़समें उसने, झूठी हैं उसकी बातें