ek sehar ki talash hai
Wednesday, March 4, 2009
में तुम्हारी प्रतीक्षा मैं हूँ
मैं ,
क्षण भर को जीवित हूँ
इस प्रकृति की सृष्टि मैं
और अपनी ही दृष्टि
मैं
क्षण भर को उत्साह मैं आता हूँ
फ़िर निराशा मैं खो जाता हूँ
किसी आहट के स्पर्श से
वापस खिल जाता हूँ
तुम्हे हो न हो मेरा इंतजार
पर मैं
तुम्हारी प्रतीक्षा मैं हूँ ।
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Mohd. Sarfaraz
लेखन उत्तम धन कर दे मन को प्रसन्न. आपके विचारों को कोई पढता है तो वो आगे के लिए आप का मार्ग प्रदर्शक बनता था , अपने विचारों को रखने का ब्लॉग से अच्छा कोई साधन नहीं है . धन्यवाद मित्र मनु और blogspot जिसने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया .
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