पल मैं समय बदला
ज्ञान अज्ञान और विज्ञान बदला
विचारों की गंगा
आदर भी अभिमान मैं बदला
जो मेरे था मेरे ही रहा लेकिन
जिस पर हक था वो भगवान भी बदला
पहले कल्पना मैं खामोश रहा मैं
फ़िर तुम ने मेरी तान को बदला
आज तो तन्हाई से भी तनहा अकेला मैं
तुमने मेरा सम्मान भी बदला
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