ऐ खुदा ऐसा हो मेरा मकान
जो हो मेरे माँ - बाप की शान
मेरे दिल अज़ीज़ भाइयों की जान
और वहां हो तुम्हारा अलग मुकाम
ये खुदा ऐसा हो मेरे मकान
बजे मन्दिर में घंटियाँ
सबके कानों तक पहुचे अजान
में कहूँ अल्लाहु , तुम्हारे ॐ में छुपे भगवान
एक ही घर में दिखलादें हम
नवरात्रे और रमजान
ऐ खुदा ऐसा हो मेरा मकान
13 comments:
अच्छी शुरुआत. स्वागत.
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। आशा है आपके बहुमूल्य विचारों से हम लाभान्वित होंगे।
वर्ड वेरिफिकेशन हटा लेने से टिप्पणी देने वाले को असुविधा नहीं होगी
aapki rachna padhkar mera mann romanchit ho gaya....bahut achhi lagi
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।
आमीन!
बहुत अच्छा.
स्वागत है जी!
Bhai mohd.sarfaraz.., bahut sundar kavita hai
bahut hi pyare vichar..,sab log yadi apne aachran mai ye gun le aaye to hamari duniya jannat ban jayegi.., abhnandan.., mk
उच्च विचार....... आपकी मनोकामना कभी तो पुरी होगी।
बहुत सुन्दर...चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.
hmmm...good luck for more creations!!
or ies kavita ki alag baat hai, jo ki agar vakai log apna lein to baat hi kya hogi..
congrats for gud starting!!
sadhuvad aapko, narayan narayan
kya bat hai bhidu
subhan allha subhan allha
lage raho bhidu......................................................
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